MULAYAM SINGH YADAV DEATH:- दशकों तक राजनीतिक दांवपेंच के पुरोधा और विपक्ष की सियासत की धुरी रहे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) कभी सियासी फलक से ओझल नहीं हुए. कभी कुश्ती के अखाड़े के महारथी रहे मुलायम सिंह यादव बाद में सियासी अखाड़े के भी माहिर पहलवान साबित हुए. मेदांता अस्पताल में सोमवार को उन्होंने आखिरी सांसें ली. समर्थकों के बीच नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह करीब छह दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे. इस यात्रा में उन्होंने ख्याति पाई तो इस यात्रा के दौरान असफलता भी हाथ लगी. लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर असर नहीं हुआ. आज मुलायम सिंह यादव के इसी सफर पर रोशनी डालते हैं. MULAYAM SINGH death news mulayam singh net worth mulayam singh yadav wikipedia mulayam singh yadav education mulayam singh yadav family
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राजनीति में सुनहरा रहा करियर
मुलायम सिंह यादव ने 1960 के करीब राजनीति में प्रवेश किया था। उन्होंने लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया था। उन्होंने जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद तीन बार (1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007) संभाला था। साल 1996 से 1998 तक मुलायम सिंह यादव ने देश के रक्षा मंत्री का भी पद संभाला था।
क्या था मुलायम सिंह की दुश्मन से दोस्त का वो किस्सा
वर्ष 1977 में विधायक बनने के बाद मुलायम सिंह यादव तत्कालीन सरकार में सहकारिता मंत्री बने थे। उस समय इटावा जिले के हेवरा निवासी ईट-भट्टा उद्योग के प्रमुख उद्योगपति बाबू दर्शन सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच अभिन्न मित्रता थी। कुछ समय बाद इटावा का जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना था। इस चुनाव के लिए चारों ओर चर्चा फैल गई थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए बाबू दर्शन सिंह यादव का नाम प्रस्तावित हो रहा है। इसमें पूरा सहयोग मुलायम सिंह यादव दे रहे हैं। परंतु बाद में मुलायम सिंह यादव के भाई प्रो. रामगोपाल यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि बाबू दर्शन सिंह यादव अध्यक्ष पद को लेकर मुलायम सिंह यादव से नाराज हो गए हैं।
एमए करने के बाद बतौर शिक्षक काम किया
मुलायम ने एमए की शिक्षा लेने के लिए शिकोहाबाद के डिग्री कालेज में प्रवेश लिया। एमए करके करहल के जैन इंटर कालेज से बीटी की और कुछ समय तक जैन इंटर कालेज में बतौर शिक्षक काम किया, पर राजनैतिक दिलचस्पी रखने वाले मुलायम सिंह चुप नहीं बैठे।
28 साल की उम्र में ही बन गए विधायक
छोटे बच्चे के बहुत फेवरेट है मुलायम सिंह यादव
इनके बारे हम आपको जानकारी बताने जा रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव पढ़ने का अंदाज काफी अलग और रोमांचक था वे किसी शिक्षक की तरह रटा रटाया पाठ बच्चे को नहीं पढ़ाते थे वे विषय में रोचकता लाने में माहिर थे। वह बच्चों की पिटाई के सख्त विरोधी थे। वे मानते थे कि बच्चों को मारने से उनकी बुद्धि का कौशल विकास रुक जाता है।
चौधरी चरण सिंह से क्षुब्ध हो गए थे तब
चौधरी चरण सिंह से तब वह क्षुब्ध हो गए थे जबकि उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के जबरदस्त असर और पकड़ के बाद भी अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी की कमान देनी शुरू कर दी।
कभी खुद वंशवाद को कोसते थे
हालांकि बहुत कम लोगों को याद होगा कि 80 के दशक तक अपने राजनीतिक आका चरण सिंह के साथ मिलकर वह इंदिरा गांधी को वंशवाद के लिए कोसने का कोई मौका छोड़ते भी नहीं थे. हालांकि बाद में धीरे धीरे वंशवाद को इतने लचीले होते गए कि खुद अपने बेटे और कुनबे को राजनीति में बडे़ पैमाने पर आगे बढ़ाने के लिए भी जाने गए.
अपनी खुद की पार्टी बनाई
बाद में इसी बिना पर चरण सिंह के निधन के बाद पार्टी टूटी और उसके एक धड़े की अगुवाई मुलायम सिंह करने लगे. 1992 में उन्होंने नई पार्टी बनाई, जिसे हम समाजवादी पार्टी के तौर पर जानते हैं, जिसका प्रतीक चिन्ह उन्होंने उसी साइकल को बनाया, जिस पर कभी उन्होंने खूब सवारी की.
क्या था मुलायम सिंह यादव का वह ऐतिहासिक फैसला
14 फरवरी, 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों को गोली से उड़ाने वाली फूलन देवी को मुलायम सिंह यादव ने बिना मुकदमा चलाए जेल से रिहा कर दिया था. उन्होंने फूलन देवी पर लगे सारे आरोप भी वापस ले लिए थे. बाद में उन्हें बौद्ध धर्म की तरफ लेकर जाने और राजनीति में लाने का श्रेय भी मुलायम सिंह यादव को जाता है. फूलन देवी की कहानी को लेकर इस देश में कई तरह के नरेटिव रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित उभार से पहले फूलन देवी देश के सवर्णों के लिए नायिका नहीं थी. यह अंतर्विरोध भी बड़ा मार्मिक है कि बात-बात पर बलात्कारियों को जान से मारने, फांसी पर चढ़ाने और उनके लिए कैपिटल पनिशमेंट की मांग करने वाला समाज फूलन देवी से सहमत नहीं रहा. आखिर फूलन देवी ने अपने लिए न्याय ही तो मांगा था.
जया प्रदा ने क्या कहा:
रामपुर लोकसभा क्षेत्र की पूर्व सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने कहा कि आदरणीय नेताजी के स्वर्गवास की खबर सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ। नेताजी से मैं काफी प्रभावित थी। वे परिवार और समाज को हमेशा बांधकर और एकसाथ लेकर चलने की बात करते थे।
जब सपा नेता को बुलाया गया ‘मुल्ला मुलायम’
वह वर्ष 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसी दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन ने तेजी पकड़ी और देश-प्रदेश की राजनीति इस मुद्दे पर केंद्रित हो गई. अयोध्या में कारसेवकों का जमावड़ा लग गया और उग्र कारसेवकों से बाबरी मस्जिद को ‘बचाने’ के लिए 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाई जिसमें पांच कारसेवकों की मौत हो गई. इस घटना के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बीजेपी और अन्य हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर आ गए और उन्हें ‘मुल्ला मुलायम’ तक कहा गया. mulayam singh net worth, mulayam singh net worth, mulayam singh net worth, mulayam singh net worth, mulayam singh yadav wikipedia, mulayam singh yadav wikipedia, mulayam singh yadav wikipedia, mulayam singh yadav wikipedia, mulayam singh yadav education, mulayam singh yadav education, mulayam singh yadav education, mulayam singh yadav education, mulayam singh yadav family, mulayam singh yadav family, mulayam singh yadav family, mulayam singh yadav family
धुर-विरोधी बसपा के समर्थन में बनाई सरकार
नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव बसपा के समर्थन से एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बाद में समर्थन वापस होने से उनकी सरकार गिर गई. उसके बाद यादव ने राष्ट्रीय राजनीति का रुख किया और 1996 में मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते. विपक्षी दलों द्वारा कांग्रेस का गैर भाजपाई विकल्प तैयार करने की कोशिशों के दौरान मुलायम कुछ वक्त के लिए प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी नजर आए. हालांकि, वह एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में बनी यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए. रूस के साथ सुखोई लड़ाकू विमान का सौदा भी उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था. बाद में मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति का रुख किया और वर्ष 2003 में तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 2007 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बसपा की सरकार बनने पर वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे
सदस्यता : (Mulayam Singh Yadav political journey)
विधान परिषद 1982-1985
विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार)
विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985
विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री
सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977
रक्षा मंत्री 1996-1998
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यकाल
: 5 दिसम्बर 1988 – 24 जून 1991
: 5 दिसम्बर 1993 – 3 जून 1995
: 29 अगस्त 2003 – 13 मई 2007
भारत के रक्षा मंत्री
: 1 जून 1996 – 19 मार्च 1998
ध्यान दें :- ऐसे ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई नई या पुरानी सरकारी योजनाओं की जानकारी हम सबसे पहले अपने इस वेबसाइट liveyojana.com के माध्यम से देते हैं तो आप हमारे वेबसाइट को फॉलो करना ना भूलें ।
इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…!!
Posted By-Govinda Rauniyar
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FAQ ABOUT : MULAYAM SINGH YADAV DEATH
Ans : मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा जिले में स्थित एक बड़ा गांव में हुआ था।
Ans : मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 ईस्वी को हुआ था।
Ans : मुलायम सिंह यादव कमरिया दी यादव जाति का गोत्र है। कमरिया खुद को कृष्णावतार के यादव वंशज मानते हैं।
Ans : मुलायम सिंह यादव के पहली पत्नी का नाम साधना गुप्ता है।
Ans : मुलायम सिंह यादव पांच भाई हैं।
Ans : मुलायम सिंह यादव के पिता का नाम सुघर सिंह है।
Ans : मुलायम सिंह यादव ने 1960 के करीब राजनीति में प्रवेश किया था।
Ans : मुलायम ने एमए की शिक्षा लेने के लिए शिकोहाबाद के डिग्री कालेज में प्रवेश लिया।
Ans : हालांकि बहुत कम लोगों को याद होगा कि 80 के दशक तक अपने राजनीतिक आका चरण सिंह के साथ मिलकर वह इंदिरा गांधी को वंशवाद के लिए कोसने का कोई मौका छोड़ते भी नहीं थे।
Ans : 14 फरवरी, 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों को गोली से उड़ाने वाली फूलन देवी को मुलायम सिंह यादव ने बिना मुकदमा चलाए जेल से रिहा कर दिया था.