OLD Pension Scheme पर ताजा अपडेट लागू करने की मांग तेज कर्मचारियों की नई तैयारी!

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ओल्ड पेंशन स्कीम, नमस्कार मित्रों आप सभी लोगों का स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में आज हम अपने इस पेज के माध्यम से आप सभी लोगों को एक बेहद महत्वपूर्ण खबर की जानकारी देने जा रहे हैं हम अपने स्पीड के माध्यम से एक ऐसी खुशखबरी आप सभी के लिए लेकर आए हैं जिसे जानने के बाद आप सभी भी बेहद ही खुश होंगे जो भी सरकारी कर्मचारी हैं किसी ना किसी क्षेत्र में सरकारी कार्य कर रहे हैं उन सभी लोगों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशखबरी निकल कर आ रही है.
पुराने पेंशन स्कीम को जारी करने के लिए लगातार सभी कर्मचारी नई-नई तैयारी कर रही है और कर्मचारियों ने आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर लिया है हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी कर्मचारी जो पेंशन के लिए 8 महीने तक की आंदोलन कर सकते हैं सभी कर्मचारी व मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनका टेंशन मिलना चाहिए आज हम अपने इस पेज के माध्यम से आप सभी लोगों को पुरानी पेंशन स्कीम से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं इसे जानने के लिए आप लोग हमारे साथ ही शादी कर के अंत तक जुड़े रहे.
Old Pension scheme 2023!
आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले देश भर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही है राजस्थान पंजाब छत्तीसगढ़ और झारखंड में एपीएस लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के साथ अलग-अलग राज्यों के सरकारी कर्मचारियों ने इसकी मांग तेज कर दी है इसके लिए अब केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन भी एकजुट हो गए हैं सरकारी योजना की खबर के मुताबिक इसको लेकर राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को जन जागरूकता अभियान शुरू होगा.
इसके बाद विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य स्तर के कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन के मुद्दे पर गेट मीटिंग करेंगे 21 जनवरी को नेशनल जॉइंट 1 काउंसलिंग ऑफ एक्शन नेशनल कनेक्शन की बैठक बुलाई गई है जिसमें आगे की रणनीति तैयार होगी इस बैठक में एपीएस को लेकर कई विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा एनजेसीए ने केंद्रों को ऑफिस लागू करने के लिए 8 महीने का समय दिया है अगर इस अवधि में पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो 19 सितंबर को भारत बंद कर विरोध जताया जाएगा हालांकि इस 20 जनवरी से सितंबर तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे
7 जनवरी को हुई थी बड़ी बैठक
बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा की अध्यक्षता में 7 जनवरी को नई दिल्ली के प्यारे लाल भवन में हुई बैठक में एपीएस बहाली की मांग को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए थे इस बैठक में कॉन्फिडेंस ऑफ एक्सेस पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणवीर सिंह भी शामिल हुए इस बैठक में तय किया गया था कि अब ओ पी एस के मुद्दे पर दिल्ली ही नहीं बल्कि राज्यों की राजधानी और जिला स्तर पर आंदोलन होगा.
ऐसे चलेगा 8 महीने पूरा आंदोलन जाने यहां से?
8 महीने जारी रहने वाले इस आंदोलन में 10 फरवरी से 20 फरवरी तक NJCA का ऑनलाइन पिटीशन अभियान, 21 फरवरी को रेलवे में ब्रांच लेवल पर रैली, 21 मार्च को जिला स्तर पर एनजेसीए द्वारा रैलियां और 21 अप्रैल को एनजेसीए की राष्ट्रीय संचालन समिति की अहम बैठक बुलाई गई है जिसमें कर्मचारी संगठन स्थानीय इकाई, OPS को लेकर गेट मीटिंग करेंगे।
- इसके बाद 21 मई को देश के सभी जिलों में कर्मचारी संगठन, मशाल जुलूस निकालेंगे। और 21 जून को राज्यों की राजधानियों में रैलियां आयोजित होंगी।
- इसके बाद जुलाई और अगस्त महीने में संसद के मानसून सत्र के दौरान नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्तर पर एक मेगा रैली निकाली जाएगी।
- अगर तब तक केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं की तो 19 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा।
- पुरानी पेंशन बहाली के लिए 2023 का रोड मैप तैयार कर लिया गया है। यह आंदोलन शिव गोपाल मिश्रा के नेतृत्व में होगा।
- नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के सभी सदस्यों को 14 फरवरी को पुलवामा शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए जंतर-मंतर पर आमंत्रित किया है।
OPS VS NPS
पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार द्वारा कर्मचारियों-पेंशनरों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी। 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं,
जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है OPS के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है, क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है।
पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।
पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है, तो भी इससे पेंशन (Pension) में बढ़ोतरी होती है।
पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।
कर्मचारियों ने की बैठक 2023
बिजली कर्मचारियों पर ओपीएस लागू करने के लिए सभी संगठन एकता मंच के बैनर तले एकजुट हुए। यहां बैठक में सरकार के खिलाफ आंदोलन का निर्णय लिया गया। बैठक में कर्मचारी अधिकारी सहित सभी संगठन मौजूद रहे और सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 11 जनवरी को समस्त ज़िला मुख्यालयों पर एक दिवसीय प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद भी सरकार ने मांगें नहीं मानी तो पांच सूत्रीय मांग पत्र के समर्थन में विद्युत भवन पर राजस्थान के समस्त कर्मचारी एवं अधिकारी मांगों के लिए हुंकार भरेंगे। 18 जनवरी को प्रदेशव्यापी विशाल प्रदर्शन विद्युत भवन पर किया जाएगा।
एनपीएस को ओपीएस लागू कर बदल दिया गया
इनके अनुसार राज्य कर्मचारियों पर एनपीएस लागू थी, जिसे ओपीएस लागू कर बदल दिया गया। वहीं बिजली कर्मचारियों पर एनपीएस के स्थान पर ईपीएस-1995 लागू है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल पाती। बैठक में प्रांतीय विद्युत मंडल फेडरेशन, राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ, राजस्थान विद्युत कर्मचारी संघ, बिजली वर्कर्स फेडरेशन, राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन, इंजीनियर एसोसिएशन, विद्युत कर्मचारी फेडरेशन, ऑल राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन, सीटू, राजस्थान विद्युत मीटर रीडर यूनियन एवं इंटर डिस्कॉम संघर्ष समिति सम्मिलित रहे।
ओपीएस को सरकार बना रही चुनावी मुद्दा
इनका आरोप है राज्य सरकार जहां एक तरफ इस मुद्दे को पूरे देश में चुनावी मुद्दा बना रही है और हिमाचल प्रदेश के तो चुनाव भी इस मुद्दे पर लड़े गए और जीत के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम को ही श्रय मिला तो राजस्थान में मुख्यमंत्री के अपने विभाग के 50 हजार कर्मचारियों को इस योजना से दूर क्यों रखा जा रहा है।
ओल्ड पेंशन स्कीम साल 2004 में हो गई थी बंद?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने एक अप्रैल 2004 से ओल्ड पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी इस स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन प्रावधान था नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10% हिसा पेंशन के लिए देते हैं जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फ़ीसदी का योगदान देती है अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था इसकी जगह नई पेंशन योजना लागू की गई थी इसके बाद राज्य में भी इन नई पेंशन योजना को अपना लिया इसके बाद से नई पेंशन योजना चल रही है
नई और पुरानी पेंशन योजना में है बड़ा अंतर.?
नई और पुरानी पेंशन योजना में कई बडे़ अंतर है इस स्कीम के रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी जबकि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की बेसिक सैलरी दिए का 10 हिस्सा कटता है है पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं काटता है वही पेंशन नई पेंशन स्कीम में 6 महीने बाद मिलने वाला डीएफ का प्रावधान नहीं है पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है वही नई योजना के 4 मिनट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती है पुरानी स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन प्राप्त कराया जाता है.
पुरानी पेंशन योजना आने वाले समय में इकॉनमी के लिए घातक साबित हो सकती है रिपोर्ट के मुताबिक गरीब राज्यों की श्रेणी में आने वाले छत्तीसगढ़ झारखंड और राजस्थान में सलाना पेंशन देनदारी तीन लाख करोड रुपए अनुमति है झारखंड के मामले में यह 217 फीसदी राजस्थान में 190 पीस दी और छत्तीसगढ़ में 260 फ़ीसदी है रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ऐसे खर्चे को राज्य की जीडीपी या राज्य के कर संग्रह के 1 फ़ीसदी तक सीमित कर दें.
एक्सपर्ट के मुताबिक पहले से ही कर्ज में डूबे राज्यों के लिए यह योजना नई मुसीबत ला सकती है इसमें आगामी सरकारों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ सकता है.
क्या हैं इसके फायदे?
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी पेंशन में योगदान देना नहीं होता है. फायदों में एक यह शामिल है कि कर्मचारी के रिटायर होने के बाद उन्हें पेंशन की राशि मिलेगी. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद के वक्त के लिए पैसे की बचत करके फंड बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस स्कीम के समर्थक मानते हैं कि इस पेंशन को बंद करने से करोड़ों कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं.
नई पेंशन स्कीम क्या है?
नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस शेयर मार्केट पर आधारित है. इस योजना के तहत कर्मचारी का बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते यानी डीए का 10 फीसदी हिस्सा काट लिया जाता है. शेयर मार्केट पर बेस्ड होने की वजह से इसे सुरक्षित नहीं माना जाता है. नई पेंशन योजना के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है. इस योजना में 6 महीने बाद मिलने वाले डीए का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, इस योजना में कर्मचारी को टैक्स डिडक्शन क्लेम करने का लाभ भी मिलता है.
मोदी सरकार का क्या है इस पर बयान?
केंद्र के रूख से पता चलता है कि फिलहाल सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को लागू नहीं करना चाहती है. एनपीएस (NPS) को वापस लेने की सरकार की कोई मंशा नहीं दिखती है. कुछ महीने पहले संसद में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री भागवत किशनराव कराड ने कहा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का कोई भी प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन नहीं है.
ओल्ड पेंशन स्कीम को बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने दिसंबर 2003 में बंद कर दिया था. कई संगठन और विपक्षी दल इसे लागू करने पर जोर दे रहे हैं. साल 2024 में आम चुनाव के दौरान ओपीएस को लागू करने का मुद्दा बड़ा बन सकता है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारें पहले ही इस स्कीम को लागू कर चुकी हैं. हिमाचल प्रदेश में भी इसे लागू करने की तैयारी है.
नोटिस!
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Posted By-Govinda Rauniyar
FAQ About OLD Pension Scheme?
Ans. इस योजना के तहत कर्मचारी का बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते यानी डीए का 10 फीसदी हिस्सा काट लिया जाता है. शेयर मार्केट पर बेस्ड होने की वजह से इसे सुरक्षित नहीं माना जाता है. नई पेंशन योजना के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है
Ans. ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी पेंशन में योगदान देना नहीं होता है. फायदों में एक यह शामिल है कि कर्मचारी के रिटायर होने के बाद उन्हें पेंशन की राशि मिलेगी. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद के वक्त के लिए पैसे की बचत करके फंड बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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WE CAN’T RECIEVE PANSION OF GOVT. DECLERATION OF BEFORE MANY OF YEARS. RAJ KUMAR GABA MUZAFFAR NAGAR INDIA