यहाँ से घर बैठे मंगवाएं पशु, दूध और पशु की लिखित में मिलेगी गारंटी

ऐसे बहुत से व्यवसाय हैं जिन्हे किसान खेती के साथ साथ शुरू कर काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इन्ही में से एक है पशुपालन। किसान चाहें तो खेती के साथ साथ पशुपालन कर अपनी आमदनी को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं। लेकिन पशुपालन शुरू करने से पहले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कम कीमत में बढ़िया पशु खरीदना। order milk online cow milk online cow curd online animal care center animal care center government

किसानों को पशु खरीदने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती जिसके चलते उनके साथ कई बार ठगी हो जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में जानकारी देंगे जिनसे आप अपने घर बैठे दुधारू पशु खरीद सकते हैं। इनसे पशु खरीदने के आपको काफी फायदे होंगे और आपके साथ ठगी नहीं होगी।

आप Mera Pashu 360 नाम की एक एप को डाउनलोड कर घर बैठे ही इनसे पशु मंगवा सकते हैं। इनसे खरीदे हुए पशु का आप computer based intelligence टेस्ट बिलकुल फ्री में करवा सकते हैं और इसके साथ ही PD टेस्ट भी आपके पशु का बिलकुल फ्री में होगा। आपको पशु की होम डिलीवरी दी जाएगी और आपको कहीं भी पशु लेने जाना नहीं पड़ेगा।

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दुधारू पशुओं के आहार संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें ?

पशुओं के दाना मिश्रण में काम आने वाले पदार्थों का नाम जान लेना ही काफी नही है। क्योंकि यह ज्ञान पशुओं का राशन परिकलन करने के लिए काफी नही है। एक पशुपालक को इस से प्राप्त होने वाले पाचक तत्वों जैसे कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी उर्जा का भी ज्ञान होना आवश्यक है। तभी भोज्य में पाये जाने वाले तत्वों के आधार पर संतुलित दाना मिश्रण बनाने में सहसयता मिल सकेगी। नीचे लिखे गये किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परन्तु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है।

दुधारू पशुओं के आहार ,दाना मिश्रण के गुण व लाभ

  •  यह स्वादिष्ट व पौष्टिक है।
  •  ज्यादा पाचक है।
  •  अकेले खल, बिनौला या चने से यह सस्ता पड़ता हैं।
  •  पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
  •  बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।
  •  दूध व घी में भी बढौतरी करता है।
  •  भैंस ब्यांत नहीं मारती।
  •  भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।
  •  कटडे या कटड़ियों को जल्द यौवन प्रदान करता है।

दुधारू पशुओं के आहार संतुलित दाना मिश्रण कितना खिलायें

  • शरीर की देखभाल के लिए:
  • गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 2 किलो प्रतिदिन
  • दुधारू पशुओं के लिए:
  •  गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना
  • भैंस प्रत्येक 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना
  • गाभिन गाय या भैंस के लिए:
  • महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को 1 से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।
  • बछड़े या बछड़ियों के लिए:
  • किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।

बैलों के लिए:

  • खेतों में काम करने वाले भैंसों के लिए 2 से 2.5 किलो प्रतिदिन
  • बिना काम करने वाले बैलों के लिए 1 किलो प्रतिदिन।

चारे में आमतौर सबसे ज्यादा भूसे का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बहुत कम पौष्टिक तत्व होते हैं। पशु को सही पोषण मिले इसके लिए राइस ब्रैन, चोकर और चना दिया जाना ज़रूरी है। साथ ही हरे चारे को उसके आहार में जरूर शामिल करें जो कि सूखे चारे से ज्यादा अच्छा होता है। अच्छी नस्ल की मुर्रा भैंस या होल्सटीन फ्रीजियन गाय का वजन 450 से 500 किग्रा है। उसे अच्छी सेहत और पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पादन के लिए हर 100 किग्रा भार पर 2.5 किग्रा सूखा चारा देने की जरूरत होती है।

करीब 12.5 किग्रा पशु के एक दिन के आहार में शामिल होना चाहिए। इसमें सूखे और हरे चारे का अनुपात 50:50 फीसदी यानि बराबर होना चाहिए। जब पशु दूध के लिए तैयार हो रहा हो तो उसके संतुलित आहार में सूखा चारा, हरा चारा और दाना मिलाकर देना जरूरी है। जिसमें सूखा चारा 6.5 किग्रा, हरा चारा करीब 30 किग्रा और दाना एक किग्रा हर रोज देेना चाहिए। जब पशु दूध देने लायक हो जाए तो सूखा चारा और हरा चारा उतना ही रखें पर दाने को बढ़ा कर चार किलो और गर्भावस्था में दाना घटा कर दो किलो कर दें।

दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा

हरा चारा पशु चाव से खाते हैं। यह सूखे चारे की अपेक्षा जल्दी पचता है। दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।

पशुओं के लिए आठ से 10 घंटे के अंतर पर चारा ज़रूरी

खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें। फलीदार सब्जी भी लाभकारी होती है। बरसीम, रिजका, ग्वार आदि सूखे चारे में मिला कर खिलाएं। इन फलियों को बिना चारे के खिलाने से पाचन क्रिया में गड़बडी और अफारा रोग होने की संभावना होती है। पशु एक दिन में 35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। आहार में प्रोटीन पशुओं की बढ़त और अच्छी सेहत के लिए, कार्बोहाइडे्रट शक्ति देता है और शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। ये तन्दुरूस्ती व उचित प्रजनन के लिए जरूरी होता है। टूटे हुए गेहूं, ज्वार या बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण के साथ देने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है।

हजारों की संख्या में मवेशी हुए हैं प्रभावित

तिरटोल प्रखंड के दसमंतपुर के एक दूध उत्पादक किसान धनेश्वर दास ने कहा कि उनके पास हर दुधारू गाय है जो रोजाना 10 लीटर दूध देती है. प्रति गाय को छह किलो पशु चाराऔर 20-30 किलो हरा चारा और भूसा रोज चाहिए. पर हालय यह है कि पैसे होने के बाद भई पशु को पट भर चारा नहीं खिला पा रहे हैं. एक पशु के लिए दो किलोग्राम चारा ही मिल पा रहा है. जो पर्याप्त नहीं है. वहीं कोलार पंचायत के सरपंच उमेश कुमार बेहरा ने कहा कि बाढ़ से लगभग 5,000 लोग और 3,500 पालतू मवेशी प्रभावित हुए हैं.

किसानों को दिया गया 10 दिनों का पशु चारा

हालांकि जिले के प्रभावित किसानों को परेशानी से निजात दिलाने के लिए 10 दिनो का पशु चारा दिया गया है. मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी बीरा किशोर परिदा ने प्रभावित गांवों में 56 शिविर खोले गए जहां प्रभावित किसानों को 15 टन मवेशी और 14 क्विंटल हरा चारा दिया गया. नुआपाड़ा मिल्क चिलिंग प्लांट के प्रबंधक, तिरतोल ललित कुमार पात्रा ने कहा कि प्लांट में दूध का उत्पादन बाढ़ से पहले 55,000 लीटर के मुकाबले घटकर 35,000 लीटर प्रतिदिन रह गया है.

घट गई दूध किसानों की संख्या

करंदियापटाना गांव में मिल्क चिलिंग सेंटर के कर्मचारी समरेंद्र जेना ने पहले कहा कि 1,200 डेयरी किसान केंद्र को दूध की आपूर्ति करते थे. लेकिन फिलहाल सिर्फ 300 किसानों ही दूध दे पा रहे हैं. केंद्रपाड़ा ओमफेड के यूनिट प्रभारी चित्तरंजन पांडा ने कहा कि सहकारी जिले भर के लगभग 7,000 डेयरी किसानों से प्रतिदिन 50,000 लीटर दूध खरीदता था, पह अब कई किसानों ने बाढ़ के कारण हमें दूध की आपूर्ति बंद कर दी है.

पशु चिकित्सकीय सेवाएं

विभाग द्वारा लगभग प्रत्येक ग्राम स्तर पर पशुओं के निःशुल्क ईलाज हेतू पशु चिकित्सालय/पशु औषधालय की स्थापना की गई है । इन संस्थाओं में समय-2 पर बांझपन निवारण शिविरों तथा कृमिनाशक दवा वितरण शिविरों का भी आयोजन किया जाता है ।

रोग नियन्त्रण एवं टीकाकरण

इसके अन्तर्गत विभाग् द्वारा बड़े पशुओं में फेलने वाले घातक रोगों जैसे – मुहँखुर, गलघोंटू, ब्रुसेलोसिस तथा छोटे पशुओं, जैसे भेड़ व बकरी में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बचाव हेतू निःशुल्क टीकारण किया जाता है । इसके लिए समय-2 पर जागृति कैम्प लगाकर पशुपालकों को टीकारण के प्रति जागरूक किया जाता है ताकि पशुधन स्वस्थ रह सके।

जिला पशु रोग निदान प्रयोगशाला, हिसार

इस प्रयोगशाला में जिले भर से पशुपालकों द्वारा या पशु चिकित्सक द्वारा भेजे गए गोबर, खून, पेशाब के टैस्ट मुफ्त किए जाते हैं । इसके अतिरिक्त कई बिमारियों जैसे टी.बी., जे.डी. व ब्रुशेैला के टैस्ट भी मुफ्त किए जाते हैं ।

कृत्रिम गर्भाधान सुविधा

यह सुविधा गाय व भैसों में नस्ल सुधान व दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतू चलाई गई है । इस स्कीम के अन्तर्गत उत्तम नस्ल के सांडो का वीर्य लेकर गाय व भैंसों को कृत्रिम विधि से गर्भित किया जाता है जिसके कारण नस्ल सुधार व अधिक दुग्ध उत्पादन को बढावा मिला है । संस्था पर राशि 30/ – रूपए तथा घर द्वार पर राशि 100/ – प्रति गर्भाधान सरकारी शुल्क वसूल किया जाता है।

गौशालाओं का पंजीकरण व अनुदान

इसके अन्तर्गत इच्छुक गौशालाओं का आवेदन हरियाणा गौ-सेवा आयोग, पंचकूला को भेजकर उनका पंजीकरण करवाया जाता है तथा पंजीकृत गौशालाओं को हरियाणा गौ-सेवा आयोग, पंचकूला तथा भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, चैन्नई से अनुदान दिलवाया जाता है ।

गौ संवर्धन एवं संरक्षण कार्यक्रम

हरियाणा में गाय की देसी नस्ल (हरियाणा एवं साहीवाल) को बढावा देने हेतू दुग्ध प्रतियोगिता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन प्रत्येक ग्राम के स्तर पर किया जाता है जिसमें पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि निम्नलिखित अनुसार वितरित की जाती है। इसके अतिरिक्त इन नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतू मिनी डेयरी योजना के तहत पशुपालकों को तीन या पांच दुधारू गायों की खरीद पर सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान राशि भी दी जाती है।

मुर्राह भैंस संरक्षण कार्यक्रम

मुर्राह भैस, जो विस्तार में भैसों की सबसे उत्तम नस्ल है तथा हरियाणा राज्य इसका मूल स्थान है व इसे काला सोना का नाम दिया गया है, इसलिए हरियाणा प्रदेश के पशुपालकों को उत्तम मुर्राह दुधारू भैंस पालने की प्रवृत्ति को बढावा देने हेतू दुग्ध प्रतियोगिता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । यह आयोजन प्रत्यक ग्राम के स्तर पर किया जाता है जिसमें पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि निम्नलिखित अनुसार वितरित की जाती है । इस दुग्ध प्रतियोगिता में शामिल उच्च कोटि की भैसों से प्राप्त एक वर्ष के कटड़ों को विभाग अच्छी कीमत (राषि 20,000 से 30,000/ – रू0) तथा इससे भी अधिक कीमत पर पशुपालकों से खरीद कर राजकीय कटड़ा फार्म, हिसार में रखा जाता है और बाद में इच्छुक ग्राम पंचायतों को न्यूनतम मूल्य पर दिया जाता है ।

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50 दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी योजना

इस योजना के तहत 50 दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी बैंक के माध्यम से लोन स्वीकृत होने उपरान्त स्थापित करवाई जाती है तथा इस योजना के तहत स्वीकृत ऋण के 75 प्रतिशत राशि लगने वाला ब्याज विभाग द्वारा लाभार्थी को प्रदान किया जाता है।

3/5/10 दुधारू पशुओं की मिनी डेयरी योजना

इस योजना का उद्देश्य शहरी/ ग्रामीण शिक्षित बेरोजगार युवक/ युवतियों को बैंकों के माध्यम से ऋण दिलवाकर स्वरोजगार उपलब्ध करवाना तथा आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब परिवारों के लिए स्वरोजगार उपलब्ध करवाना है । इस योजना के तहत लाभार्थी को 25 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है।

सारांश!

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Posted By-Govinda Rauniyar

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Amar Kumar is a graduate of Journalism, Psychology, and English. Passionate about communication - with words spoken and unspoken, written and unwritten - he looks forward to learning and growing at every opportunity. Pursuing a Post-graduate Diploma in Translation Studies, he aims to do his part in saving the 'lost…

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