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Fish Farming Subsidy : किसानों को अब मछली पालन पर मिलेगी 80% सब्सिडी, सरकार का बड़ा ऐलान!

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किसानों को मिला बड़ी छूट, नमस्कार मित्रों आप सभी लोगों का स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में आज हम अपने इस पेज के माध्यम से आप सभी लोगों को एक बेहद ही महत्वपूर्ण खबर की जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं अगर आप लोग भी एक किसान हैं एवं किसानी के साथ-साथ मछली पालन भी करते हैं तो हमारा यह खबर आपके लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जैसा कि आपको मालूम ही होगा कि सरकार अब कृषि के क्षेत्र में किस प्रकार सभी किसानों को जागरूक करने के लिए नई-नई तकनीकों को सभी किसानों में बांट रहे हैं

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अगर आप किसी के साथ साथ मछली पालन भी करना चाहते हैं यह आप मछली पालन कर रहे हैं तो अब आप लोगों के लिए सरकार ने किया है बड़ा ऐलान जिसके तहत अब आप लोगों को मिलेगा 80% तक की सब्सिडी इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप एक लाख रुपए का लोन लेकर मछली पालन करते हैं तो जिसमें सरकार के द्वारा आप को 80% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है जिसमें मात्रा आप 20% पैसा लगाकर अपना मछली पालन एवं कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक आगे जागरूक हो सकते हैं एवं अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं काफी लंबे समय से सरकार के द्वारा नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि किसानों की आय में वृद्धि किया जा सके आज हम अपने इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी लोगों को कृषि से संबंधित एवं मछली पालन से संबंधित बेहद महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं.

मछली पालन योजना के अंतर्गत किए गए नए बदलाव!

झारखंड सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मिलने वाले अनुदान को 40% से बढ़ाकर 80% तक कर दिया है झारखंड में प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और महिला उम्मीदवारों को 60 फ़ीसदी की सब्सिडी दी जाती थी वही सामान्य किसानों सब्सिडी के तौर पर 40 फ़ीसदी मिलती थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर सरकार ने 80 फ़ीसदी कर दिया है झारखंड कृषि विभाग के सचिव के मुताबिक अभी इस फैसले को लेकर कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुई है लेकिन जल्द से जल्द इसकी अधिकारी घोषणा सरकार के द्वारा ऑफिशियल वेबसाइट के माध्यम से कर दी जाएगी.

अगर झारखंड सरकार के द्वारा यह निर्णय जल्द से जल्द लिया गया तो सभी किसानों के लिए यह एक बड़ा बदलाव होने वाला है वह महुआ अपनी आय को दुगनी भी कर सकते हैं एवं कृषि के साथ-साथ मछली पालन में करने वाले लोगों को भी इससे काफी राहत मिलने वाली है जिसके तहत सरकार ने यह फैसला लिया एवं 80% तक की सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिए अगर आप इस योजना से संबंधित और भी अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

मछली पालन का लक्ष्य?

हाल में कुछ वर्षों में झारखंड में मछली पालन में उत्पादन बढ़ा है किसानों ने नए-नए तकनीकों से मछली पालन कर अपना मुनाफा और भी अधिक बढ़ाया है सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल यहां पर दो लाख 15,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था इस साल 2 लाख 57000 मेट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जिससे कि यह पता चलता है कि मछली पालन में अब लोग भी जागरूक हो रहे हैं और मछली पालन की नई-नई तकनीकों को अपना रहे हैं.

Fish Farming Subsidy 2023 मछली पालन लोन

किसानों को मिलता है लोन?

साथ ही किसान सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का लाभ उठाने के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन क्रेडिट कार्ड बनवा कर इसमें 1.6 लाख का लोन प्राप्त कर सकते हैं मत्स्य पालन संपदा के अंतर्गत यह लोग आप लोगों को बिना किसी गारंटी के दिया जाता है यानी इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप या लोन लेते हैं तो इसके लिए आपको किसी भी प्रकार की चीज को गिरवी नहीं रखना पड़ता है एवं आप यह लोन बिना किसी परेशानी के लिए सकते हैं.

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इसके अलावा इस क्रेडिट कार्ड से अधिकतम ₹300000 तक लोन लिया जा सकता है किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने पर अन्य दिनों के मुकाबले कम ब्याज देना होता है सभी किसानों को ऋण चुकाने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है एवं किसान अपने अनुसार अपना ऋण चुका सकते हैं.

मछली पालन के लिए पाए 80 प्रतिशत की सब्सिडी

झारखंड राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से मत्स्य पालन के लिए मिलने वाली 40 % की सब्सिडी को बढाकर 80 % देने जा रही है। इस तरह से अब इस राज्य के किसानो को राज्य सरकार की तरफ से मछली पालन करने के लिए किसानो को 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। झारखण्ड राज्य सरकार के इस फैसले से राज्य के लाखों किसानों को बहुत लाभ प्राप्त होगा।

बता दे कि इस सब्सिडी योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को मछली पालन के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी, वहीं 60 प्रतिशत सब्सिडी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और महिला किसानों को मिलेगी। इस तरह से इस सब्सिडी का लाभ सभी किसानो को मिलेगा। आइये जानते है इस सब्सिडी का लिए आवश्यक योग्यता क्या है

सरकार किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उनकी मदद करने का प्रयास करती रहती है इसलिए झारखंड सरकार किसानों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है ताकि किसान इस सब्सिडी की मदद से मछली पालन का व्यवसाय शुरू कर सके और अपने आई को ध्वनि कर सके एवं कृषि के साथ-साथ मछली पालन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सके.

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन किफायती!

भारत में पिछले कुछ सालों से मदद से पालन क्षेत्र में भारी बदलाव आया है मत्स्य पालन क्षेत्र में विस्तार देखने को मिला है भारत सरकार मछली पालन अर्थात जरिए कृषि करने वाले किसानों को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को बैंक ऋण सब्सिडी और बीमा आदि अनेक प्रकार की सुविधा दी जा रही है मत्स्य पालन क्षेत्र के विस्तार के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन नीली क्रांति योजना चलाई जा रही है.

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नीली क्रांति को और अधिक मजबूती और अत्याधुनिक देने के लिए अब मछली पालन के लिए बायो फ्लॉक टेक्नोलॉजी अपनाई जाने लगी है इस तकनीक में आपको मछली पालन के लिए तालाब बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी यह तकनीक मछली पालन को और सुलभ एवं सरल बनाती है अपनाकर किसान अधिक और अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं केंद्र सरकार छोटे और लघु सीमांत किसानों को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें इस योजना के तहत मछली पालन व्यवसाय के लिए लोन के साथ-साथ निशुल्क ट्रेनिंग भी प्रदान करती है.

बायोफ्लॉक तकनीक 2023

बायोफ्लॉक एक बैक्टीरिया है, जो मछलियों के अपशिष्ट को प्रोटीन में बदल देता है। इस प्रोटीन का सेवन भी मछलियां ही करती हैं, जिससे संसाधनों की काफी हद तक बचत होती है। इस तकनीक में बड़े-बड़े टैंकों में मछली पाली जाती है। करीब 10-15 हजार लीटर पानी के टैंकों में मछलियां डाल दी जाती है। इन टैंकों में पानी भरने, गंदा पानी निकालने, पानी में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था होती है। इस तकनीक में किसान चाहे तो मछली पालन के लिये अपनी सहूलियत के हिसाब से छोटे या बड़े टैंक बनवा सकते हैं। बायोफ्लॉक तकनीक से कम पानी और कम खर्च में अधिक मछली उत्पादन किया जा सकता है। इस तकनीक से किसान बिना तालाब की खुदाई किए एक टैंक में मछली पालन कर सकते हैं।

मछली के अपशिष्ट को प्रोटीन में बदलना

बायोफ्लॉक में मछली पालन करने के लिए किसान की आवश्यकता, मार्केट डिमांड और बजट को ध्यान में रखखर टैंक बनाए जाते हैं, जिनमें पानी भरकर मछलियां पाली जाती हैं। यह तरीका तालाब में मछली पालन करने से काफी सस्ता पड़ता है। टैंक सिस्टम में बायोफ्लॉक बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। ये बैक्टीरिया मछलियों के मल और फालतू भोजन को प्रोटीन सेल में बदल देते हैं और ये प्रोटीन सेल मछलियों के भोजन का काम करते हैं। दअसल टैंक विधि से मछली पालन करने पर मछलियों को दाना डाला जाता है,

जिसके बाद मछलियां इसका सेवन करके उसका 75 प्रतिशत अपशिष्ट छोड़ती हैं। यह अपशिष्ट पानी के अंदर दाने के साथ टैंक की तली में बैठ जाता है। उसी अपशिष्ट को शुद्व करने के लिए बायोफ्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है यह बैक्टीरिया मछली के अपशिष्ट को प्रोटीन में बदल देता है, जिसे मछली खाती है। इस तरह से एक-तिहाई फीड की बचत होती है। बायोफ्लॉक विटामिन और खनिजों का भी अच्छा माध्यम है, खासकर फॉस्फोरस। इस तकनीक में पानी की बचत के साथ मछलियों के खाने की भी बचत होती है.

Machhli Palan Yojana 2023 : Registration Process

मत्स्य प्रशिक्षण योजना के तहत आवेदन करने के लिए ऑफलाइन सुविधा ही बनाई गई है; इसलिए जो भी लोग मत्स्य प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं उन्हेंनीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करने होंगे

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  • जो भी आवेदक योजना के तहत प्रशिक्षण हासिल करना चाहता है, उसको अपने जिले के मत्स्य पालन विभाग से मत्स्य प्रशिक्षण योजना फॉर्म लेना होगा।
  • ध्यान देने योग्य एक बात यह है कि जो लोग काकीनाडा बैच के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें ट्रेनिंग प्राप्त करने के लिए जो फॉर्म लेना है, उसके लिए उन्हें ₹250 शुल्क भरना होगा जबकि अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण हासिल करने के लिए ₹100 का शुल्क भरना होगा।
  • मत्स्यप्रशिक्षण योजना फॉर्म को अच्छी तरह से भरने के पश्चात तथा कुछ आवश्यक दस्तावेजों की कॉपी अटैच करने के बाद
  • इस फॉर्म को जिले की जिला मत्स्य अधिकारी या जिला सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी के कार्यालय में जाकर जमा करवाना होगा।
  • इसके बाद अधिकारी आवेदन पत्र को वेरीफाई करते हैं तथा दस्तावेजों को भी वेरीफाई किया जाता है; यदि उन्हें सारी जानकारी सही लगती है
  • तो उनके द्वारा आवेदक को अप्रूवल दे दिया जाता है और उसके बाद ट्रेनिंग शुरू कर दी जाती है; जो कि बिल्कुल मुफ्त में प्रदान की जाती है.

Bihar Machhli Palan Yojana 2023 Selction Process

जो लोग किसी हैचरी, तालाब के निर्माण, फिश फीड मिल के लिए बैंक लोन या फिर खुद की लागत से बनाई मत्स्य विभाग में आवेदन करते हैं, उन्हें पहल के आधार पर इस योजना के तहत चुन लिया जाता है।

  • योजना के अंतर्गत उन मत्स्य पालकों को प्राथमिकता दी जाती है जो प्रोटीन मिशन, मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना, समग्र मत्स्य विकास प्रयोजना आदि के तहत बैंक ऋण के लिए आवेदन कर चुके हैं।बाकी के आवेदकों को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया जाता है और जितनी सीट खाली होती है, वहां पर उन्हें लाभ प्रदान करने के लिए अप्रूवल दे दिया जाता है।
  • मत्स्य प्रशिक्षण योजना मछली पालन के धंधे को बिहार में और ज्यादा बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। जो लोग मछली पालन या मत्स्य पालन के बारे में ज्यादा जानकारी ना भी रखते हैं उनको भी यदि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में दिलचस्पी है तो वह बेझिझक होकर इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।
  • यदि उस जानकारी प्रभाव कारी लगी तो वह उसे मुफ्त में प्रशिक्षण हासिल करने के लिए अप्रूवल दे देते हैं जिससे नई तकनीकें जानने का मौका मिलता है और अपना खुद का रोजगार शुरू करने का मौका मिलता है।
  • इसलिए जिन लोगों को मत्स्य पालन में दिलचस्पी है उन्हें योजना के अंतर्गत अपना नाम नामांकित कर देना चाहिए.

सब्सिडी और बीमा

दरअसल केन्द्र सरकार ने देश में मत्स्यपालन के विकास की व्यापक संभावना को देखते हुए मत्स्यपालन क्षेत्र में “ब्लू रेवोल्यूशन” यानी नीली क्रांति योजना को शुरु किया था। सरकार इस योजना के तहत मत्स्यपालन क्षेत्र मछली पालन करने वालें किसानों को सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया था। इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में कार्य करनें वाले लोगो को 3 लाख रुपये का ऋण प्रदान किया जा रहा है।

साथ ही किसानों को मछली पालन के लिए फ्री में ट्रेनिंग भी दी जाती है। पीएमएमएसवाई योजना के अंतर्गत अनूसूचित जाति और महिलाओं को इस क्षेत्र में 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। वही अन्य सभी को 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। बायोफ्लॉक तकनीकी से मछली पालन के खर्च का बोझ कम करने के लिये आप इस योजना के तहत भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लॉक सिस्टम पर होने वाले खर्च का 60 फीसदी सब्सिडी के रूप में प्राप्त कर सकते है।

तालाब में मछली पालन के पारंपरिक तरीके के मुकाबले बायोफ्लॉक तकनीक के कई लाभों को देखते हुए और मछली पालकों को इसका ज्यादा उत्पादन दिखाने के लिए इसे में पेश किया जा रहा है। यह तकनीक पहले ही कई राज्यों में अपनाई जा चुकी है और इस तकनीक से कई यूनिट सफलतापूर्वक चल रही है।

मछली पालन पर सब्सिडी के लिए क्या है शर्तें?

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन करने वाले किसानों को किया जाता है इस योजना के तहत सब्सिडी का लाभ लेने के लिए मछली पालन किसानों को विशेष पात्रता जरूरी है इसके लिए बस मछली पालन की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए और उसे मछली पालन का प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए और हम आपको यह भी बता दें कि मछली पालन का प्रशिक्षण देने के लिए समय-समय पर विभाग की ओर से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है किसान इस शिविर में भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

आवश्यक दस्तावेज (Fish Farming)

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालक किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होता है। इस योजना में आवेदन के लिए मछली पालक किसानों को जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी हैं, इनमें से सामान्य दस्तावेज इस प्रकार से हैं-

  • आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड
  • आवेदन करने वाले किसान का पासपोर्ट साइज फोटो
  • किसान द्वारा शपथ-पत्र
  • बैंक विवरण हेतु पासबुक की कॉपी
  • जाति प्रमाण-पत्र की कॉपी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए)
  • जमाबंदी की कॉपी
  • पैन कार्ड की प्रति
  • पते के प्रमाण की प्रति
  • अन्य दस्तावेज- प्रोजेक्ट विस्तृत रिपोर्ट

मछली पालन करने हेतु अगर आप सभी के पास यह सभी दस्तावेज मौजूद है तो आप अपना आवेदन कर सकते हैं आवेदन करने की दौरान इन सभी दस्तावेजों का अपने पास रखें ताकि आवेदन की प्रक्रिया में आपको किसी प्रकार की समस्या ना हो.

योजना पर कितनी सब्सिडी मिलती है?

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति और महिलाओं को 60 प्रतिशत तक सब्सिडी, वहीं, अन्य सभी को 40% तक की सब्सिडी या 2 लाख तक की छूट दी जा रही है. साथ किसानों और मछुआरों के लिए लोन लेने की भी सुविधा दी गई है.

कहां करें आवेदन 2033

केंद्र सरकार की तरफ से इस योजना को राज्य सरकार के माध्यम से निर्देशित किया जा रहा है. कोई भी इच्छुक व्यक्ति अपने राज्य के मत्स्य पालन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकता है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन फॉर्म अप्लाई करने का तरीका बेहद आसान है. अगर आप भी इस योजना के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो अधिकारिक वेबसाइट dof.gov.in/pmmsy पर विजिट कर आवेदन कर सकते हैं.

कैसे करें आवेदन 2023

चलिए मित्रों हम आपको बताते हैं कि आप सभी लोग आवेदन कैसे कर सकते हैं आवेदन की प्रक्रिया में आपसे किस प्रकार की प्रोसेस होगी

अधिकारिक वेबसाइट pmmsy.dof.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं. ऋण सुविधा का लाभ उठाने के लिए नजदीकी सहकारी बैंक में फॉर्म भरें, जिसके बाद नाबार्ड सब्सिडी योजना के तहत लोन दिया जाएगा. इस योजना के तहत राजस्थान में रहने वाले किसानों को शून्य ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है, जिससे किसानों, पशुपालकों और मछली पालकों की जरूरतों को पूरा किया जा सके.

बिना गारंटी 1.60 लाख का लोन

पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन क्रेडिट कार्ड बनवा कर आप इससे 1 लाख 60 हजार का बिना गारंटी के लोन भी ले सकते हैं. साथ ही इस मछली पालन क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण भी लिया जा सकता है.

मछली पालन में कितना खर्च आता है?

जीरा छोड़ने के 5-6 महीने में मछलियां तैयार हो जाती हैं और उन्हें बाजार में बेच दिया जाता है. इससे किसानों को कम लागत में कई गुना तक अधिक की कमाई हो जाती है. इस तकनीक में सिर्फ बायो फ्लॉक तैयार करने में, जीरा और मछलियों के आहार पर खर्च करना पड़ता है जबकि आमदनी कुल लागत से कई गुना अधिक तक हो जाती है.

दोस्तों अगर हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी अभी तक आपको पसंद आ रहा हो तो हमारे इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ शेयर अवश्य करें ताकि वे लोग भी मछली पालन से संबंधित जानकारी प्राप्त कर अपने मछली पालन का सपना साकार कर सकें.

सारांश (Summary)

तो दोस्तों आपको कैसी लगी यह किसानों को मिला बड़ी छूट कि जानकारी तो हमें कमेंट बॉक्स में बताना न भूलें और अगर आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो हमें जरूर बताएं। और दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे लाइक और कमेंट करें और दोस्तों के साथ शेयर भी करें।

Disclaimer: दोस्तों, हमारी वेबसाइट (liveyojana.com) सरकार द्वारा चलाई जाने वाली वेबसाइट नहीं है,ना ही किसी सरकारी मंत्रालय से इसका कुछ लेना देना है | यह ब्लॉग किसी व्यक्ति विशेष द्वारा द्वारा चलाया गया है। हमारी पूरी कोशिश रहती की एकदम सटीक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाया जाए।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी गलती की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता। इस ब्लॉग के हर आर्टिकल में आधिकारिक वेबसाइट की जानकारी दी जाती है। हमारा सुझाव है कि हमारा लेख पढ़ने के साथ-साथ आप आधिकारिक वेबसाइट से भी  जानकारी जरूर लीजिये । अगर किसी लेख में कोई त्रुटि लगती है तो आपसे आग्रह है कि हमें जरूर बताएं।

इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…!!

Posted By-Govinda Rauniyar

FAQS? किसानों को मिला बड़ी छूट

✅मछली पालन में कितना खर्च आता है?

Ans, मछली पालन के लिए एक हेक्टेयर तालाब के निर्माण में करीब 5 लाख रुपए की लागत आती है। इसमें कुल राशि का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार, 25 प्रतिशत राज्य सरकार अनुदान देती है। शेष 25 प्रतिशत मछली पालक को देना होता है।

✅मछली पालन का बीमा कैसे होता है?

Ans, एक एकड़ तालाब में मछली का बीमा कराने के लिए प्रीमियम लगभग चार हजार रुपए लगेंगे। इसमें किसानों को 50 प्रतिशत प्रीमियम राशि यानी 2000 रुपए प्रति एकड़ की दर से भुगतान करना पड़ सकता है। शेष प्रीमियम राशि राज्य सरकार भुगतान करेगी। हांलांकि प्रीमियम राशि में आगे बदलाव किया जा सकता है।

✅मैं मछली पालन के लिए धन कैसे प्राप्त करूं?

Ans, इसके अलावा, सरकार इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए वित्तपोषण प्रदान करती है। मछली किसान रुपये के ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बिना गारंटी के पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत 1,60,000 रु । इसके अलावा, यह कार्ड अधिकतम 3 लाख रुपये के ऋण की अनुमति देता है।

✅कम से कम जगह में मछली पालन कैसे करें?

Ans, बायो फ्लॉक बेहद ही कम जगह में लग जाता है, जिसमें बहुत ही आसान तरीके से फिश फार्मिंग की जा सकती है. बायो फ्लॉक में मछली जल्दी बढ़कर कर तैयार हो जाती है. इससे पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है. बेहद ही कम पानी के इस्तेमाल में बायो फ्लॉक में मछली पालन किया जा सकता है.

✅मछली सबसे ज्यादा क्या खाती है?

Ans, कुछ मछलियाँ शाकाहारी होती हैं, कुछ सर्वाहारी, कुछ मछलियाँ सिर्फ शैवाल खाती हैं, कुछ झींगे आदि खाती हैं| लेकिन ज़्यादातर मछलियाँ सर्वाहारी ही होती हैं, यानी वो शाकाहारी और माँसाहारी दोनों तरह के भोजन ग्रहण कर लेती हैं।

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Amar Kumar is a graduate of Journalism, Psychology, and English. Passionate about communication - with words spoken and unspoken, written and unwritten - he looks forward to learning and growing at every opportunity. Pursuing a Post-graduate Diploma in Translation Studies, he aims to do his part in saving the 'lost…

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